सरगम के सात सुरों से बनते नौरंग के गीत, अपनी सरगम ऐसी जिसमें रंग रहे न गीत ।
कान्हा के अधरों की सरगम पर बंसी आन बसी, हर बसी की तान सुरीली सरगम आन बसी ।
या अधर निहारूं ,रूप निहारूं, बंसी की या तान सुनूं , मनमोहन कैसा नाच नचाते ।
वन वन डोलूं, पनघट घट भटकूं , जमना के तीरे भी खोजूं , छलिया कयों छिप छिप जाते ।
अब तो दरस दिखाओ मोहन, तड़प हिया की बैरी जानो, तरस तरस क्यों दरस दिखाते ।
अधरन धर बंसी, बंसीधर काहे सौतन आन धरी, अधरन अमृत पान मिले, अधर में अधरन पिय काहे प्यास भरी ।
मन महिं आग लगावत सावन, भादौं बैरन आन भई , आछे दरस तुम्हारे कीने , पूरी आफत प्रान भई ।
भारत भूमि की माटी से उपजे देशी समाचार साहित्य, काव्य और संस्कृति का संकलन । नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' - प्रधान सम्पादक , ग्वालियर टाइम्स समूह , प्रधान कार्यालय - 42 गांधी कालोनी , मुरैैना म. प्र. व्हाटस एप्प नंबर 7000998037 एवं ई मेल पता : gwaliortimes@hotmail.com
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