श्री राम दयाल जी का छंद:- ( प्रस्तुति - नवीन चतुर्वेदी)
आंख नाहि लागै जा को जबर सों बैर परै,
आंख नाहि लागै - चित्त हरि सों लगात है|
आंख नाहि लागै जो कुलीन - धन हीन - रिनी,
आंख नाहि लागै जा के लगौ रोग गात है|
आंख नाहि लागै जा कें कन्या बिबाह जोग,
आंख नाहि लागै जो बियोग दुख पात है|
कहें 'रामदयाल' पल पलक न लागै यार,
आंख नाहि लागै जा की आंख लग जात है||
भारत भूमि की माटी से उपजे देशी समाचार साहित्य, काव्य और संस्कृति का संकलन । नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' - प्रधान सम्पादक , ग्वालियर टाइम्स समूह , प्रधान कार्यालय - 42 गांधी कालोनी , मुरैैना म. प्र. व्हाटस एप्प नंबर 7000998037 एवं ई मेल पता : gwaliortimes@hotmail.com
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